हीमोफ़िलिया, को समझें, समर्थ बनें!

नमस्ते!

हमें आपकी जिज्ञासा और उत्साह देखकर बहुत खुशी हुई है, विशेषरूप से हीमोफीलिया के बारे में जानने की!

हीमोफीलिया एक आनुवंशिक विकार है, जिससे शरीर में रक्त का थक्का बनाने के लिए जरूरी प्रोटीन की कमी हो जाती है। इस प्रोटीन के बिना रक्तस्राव आसानी से नहीं रुक पाता है क्योंकि रक्त का थक्का नहीं बन पाता है। इस प्रोटीन के आधार पर हीमोफीलिया को दो टाइप में वर्गीकृत किया गया है: हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी, हीमोफीलिया ए के मामले में क्लोटिंग फैक्टर VIII और हीमोफीलिया बी के मामले में क्लोटिंग फैक्टर IX की कमी हो जाती है।

दोनों ही टाइप के हीमोफीलिया क्लिनिकल रूप से एक जैसे होते हैं और दोनों ही मामलों में रक्तस्राव रूकना बंद नहीं हो पाता है, क्लॉटिंग फैक्टर की कमी की गंभीरता के आधार पर रक्तस्राव मामूली चोट के कारण या बिना किसी चोट के भी हो सकता है, या किसी तरह की कोई सर्जरी किए जाने के बाद हो सकता है।

रक्तस्राव की घटनाएं मुख्य रूप से (80%), शरीर के मुख्य जोड़ों जैसे घुटनों, टखनों, कोहनियों, कूल्हों इत्यादि की मांसपेशियों में होती हैं। हालांकि रक्तस्राव शरीर के किसी अन्य हिस्से जैसे मस्तिष्क, छाती, पेट आदि में भी हो सकता है और ऐसे मामलों में रोगी की मृत्यु भी हो सकती है।

हीमोफीलिया में रक्तस्राव की घटनाओं से मांसपेशियों और हड्डियों में न केवल कई तरह की तात्कालिक परेशानियाँ उत्पन्न हो जाती हैं, बल्कि कई मामलों में इनके कारण दीर्घकालिक विकलांगता भी हो सकती है। इससे जीवन की गुणवत्ता तो प्रभावित होती ही है और साथ ही साथ रोगी का जीवन भी कुछ वर्ष कम हो जाता है।

सौभाग्य से, आपातकालीन परिस्थिति में रक्तस्राव का उपचार करने और भविष्य में रक्तस्राव की घटनाओं को रोकने के साथ-साथ जोड़ों व मांसपेशियों को होने वाली क्षति को कम करने के लिए काफी प्रभावशाली दवाएं बाजार में मौजूद हैं। इन नए उपचारों ने हीमोफीलिया से पीड़ित लोगों के जीवन में काफी बड़ा बदलाव लाया है।

यह हमारे देश के लिए यह बात बिल्कुल सही है, 2007-2008 में दिल्ली के एमएएमसी और लोक नायक अस्पताल में कई अभूतपूर्व प्रयास शुरू किये गये हैं। उन्होंने सरकारी संस्थानों में इन उपचारों की शुरूआत का नेतृत्व किया और सिफारिश व क्षमता निर्माण पहल के माध्यम से अन्य राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों तक इन उपचारों का विस्तार किया है।
दुर्भाग्य से, हीमोफीलिया के कारण होने वाली रक्तस्राव की घटनाएं अन्य स्वास्थ्य संबंधी विकारों जैसी प्रतीत हो सकती हैं, जैसे खेलने के दौरान चोट लगना, ऐसे स्वास्थ्य संबंधी विकार जिनमें रक्तस्राव नहीं होता है, या दवाइयों और अन्य बीमारियों के दुष्प्रभाव।

मुख्य चुनौती हीमोफीलिया का संदेह होने पर सही डायग्नोसिस चुनना है। ताकि रोगी को सही उपचार दिया जा सके और रक्तस्राव की घटनाओं को रोका जा सके, इस रोग से रोगी को राहत मिल सके तथा उसके स्वास्थ्य में सुधार हो सके। सही डायग्नोसिस करने पर ही सही उपचार देना संभव हो पाता है और गलत उपचार से बचा जा सकता है।
उपचार मिलने पर, गंभीर हीमोफीलिया से पीड़ित रोगियों का जीवनकाल पिछले कुछ दशकों की तुलना में बेहतर होकर लगभग सामान्य जीवन के स्तर तक पहुंच गया है। उचित उपचार
मिलने के बाद इन रोगियों के जीवन की गुणवत्ता में इतना सुधार हुआ है कि वे चाहें तो माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई के अभियान में भी भाग ले सकते हैं।
हालांकि हीमोफीलिया एक आनुवंशिक विकार है, लेकिन लगभग एक तिहाई मामले ऐसे परिवारों में पाये जा रहे हैं जिनकी फैमिली हिस्ट्री में पहले कभी हीमोफीलिया नहीं देखा गया था।
बेहतर आत्म-ज्ञान और दूसरों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए अपने रक्त को समझना और हीमोफीलिया के बारे में जागरूक होना जरूरी है।

शुभकामनाओं के साथ!

डॉक्टर नरेश
डॉ. नरेश गुप्ता